गुड़गांव, जागरण संवाद केंद्र :
पेशे से इंजीनियर या फिर प्रबंधक बन गए लोगों में अपने कॅरियर को और ऊंचे आयाम देने की होड़ मची रहती है, लेकिन शहर के कुछ युवा इस प्रतिस्पर्धा की दौड़ से निकल कर शिक्षा का अलख जगाने की दिशा में कार्य कर रहे है। प्रनीत, सुशील व उनकी पत्नी सोनाली सक्सेना के अलावा उनका एक पूरा ग्रुप है, जो मिलकर उन बच्चों के लिए काम करते हैं जो शिक्षा से वंचित हैं।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में कार्यरत प्रणीत सिन्हा का कहना है कि उन्होंने जब देखा कि शिक्षा का अधिकार मिलने के बावजूद बच्चे स्कूलों से दूर हैं व मजदूरी तथा भीख मांगने जैसे काम कर रहे हैं तो उन्होंने उनके लिए कुछ करने की सोची और जुट गए इन्हें शिक्षा से जोड़ने के काम में। 'प्रयत्न' नाम के इस ग्रुप के सदस्यों ने मिलकर मुलाहेड़ा के बच्चों के स्कूलों में दाखिले करवाए। प्रणीत के मुताबिक यह दाखिले दिलवाने के लिए उन्हें बहुत लड़ाई लड़नी पड़ी तथा स्कूलों के मुखिया तथा शिक्षकों के रवैये को देखकर वे काफी हैरान भी हुए। प्रणीत का गु्रप छुट्टी वाले दिन इन बच्चों को अंग्रेजी तथा कंप्यूटर जैसी चीजें सिखाता है। सोनाली सक्सेना पीएचडी हैं, लेकिन अपने काम के साथ वे इन बच्चों को शिक्षित व जागरूक करने का काम करती हैं। उनका कहना है कि खासकर गुड़गांव में बाहर से आए 'माइग्रेंट्स' के लिए शिक्षा की डगर कितनी कठिन है इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्होंने यह चीजें झेली हैं। उनका कहना है कि स्कूल के मुखिया लाख मनाने पर भी आरटीई की अनदेखी करके इनसे शिक्षा के अधिकार से वंचित करते हैं तथा इनका दाखिला नहीं लेते। जिला शिक्षा अधिकारी, उपायुक्त समेत कई अधिकारियों से मिलने पर भी इन बच्चों के दाखिले में बाधाएं आ रही हैं तो अगर केवल बच्चे या माता पिता स्कूल में जाएं तो उन्हें क्या रिस्पांस मिलता होगा।
प्रणीत के साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल तथा प्रबंधन करके निकले छात्र आयुष बंसल सरीखे कई अन्य युवा भी इस तरह का काम कर रहे हैं।
पेशे से इंजीनियर या फिर प्रबंधक बन गए लोगों में अपने कॅरियर को और ऊंचे आयाम देने की होड़ मची रहती है, लेकिन शहर के कुछ युवा इस प्रतिस्पर्धा की दौड़ से निकल कर शिक्षा का अलख जगाने की दिशा में कार्य कर रहे है। प्रनीत, सुशील व उनकी पत्नी सोनाली सक्सेना के अलावा उनका एक पूरा ग्रुप है, जो मिलकर उन बच्चों के लिए काम करते हैं जो शिक्षा से वंचित हैं।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में कार्यरत प्रणीत सिन्हा का कहना है कि उन्होंने जब देखा कि शिक्षा का अधिकार मिलने के बावजूद बच्चे स्कूलों से दूर हैं व मजदूरी तथा भीख मांगने जैसे काम कर रहे हैं तो उन्होंने उनके लिए कुछ करने की सोची और जुट गए इन्हें शिक्षा से जोड़ने के काम में। 'प्रयत्न' नाम के इस ग्रुप के सदस्यों ने मिलकर मुलाहेड़ा के बच्चों के स्कूलों में दाखिले करवाए। प्रणीत के मुताबिक यह दाखिले दिलवाने के लिए उन्हें बहुत लड़ाई लड़नी पड़ी तथा स्कूलों के मुखिया तथा शिक्षकों के रवैये को देखकर वे काफी हैरान भी हुए। प्रणीत का गु्रप छुट्टी वाले दिन इन बच्चों को अंग्रेजी तथा कंप्यूटर जैसी चीजें सिखाता है। सोनाली सक्सेना पीएचडी हैं, लेकिन अपने काम के साथ वे इन बच्चों को शिक्षित व जागरूक करने का काम करती हैं। उनका कहना है कि खासकर गुड़गांव में बाहर से आए 'माइग्रेंट्स' के लिए शिक्षा की डगर कितनी कठिन है इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्होंने यह चीजें झेली हैं। उनका कहना है कि स्कूल के मुखिया लाख मनाने पर भी आरटीई की अनदेखी करके इनसे शिक्षा के अधिकार से वंचित करते हैं तथा इनका दाखिला नहीं लेते। जिला शिक्षा अधिकारी, उपायुक्त समेत कई अधिकारियों से मिलने पर भी इन बच्चों के दाखिले में बाधाएं आ रही हैं तो अगर केवल बच्चे या माता पिता स्कूल में जाएं तो उन्हें क्या रिस्पांस मिलता होगा।
प्रणीत के साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल तथा प्रबंधन करके निकले छात्र आयुष बंसल सरीखे कई अन्य युवा भी इस तरह का काम कर रहे हैं।
We want to do such work in our region
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